Tarla Movie Download Filmyzilla – 7 जुलाई को ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE 5 पर एक्ट्रेस हुमा कुरैशी की एक फिल्म रिलीज हुई है, जिसका नाम है तरला। ये फिल्म मशहूर सेफ तरला दलाल की जिंदगी पर आधारित है, उम्मीद है ये नाम आपने सुना ही होगा। इस फिल्म तरला में एक डायलॉग है- खाना बनाना काम नहीं, आर्ट है। ये डायलॉग सुनने में साधारण जरूर है, लेकिन इसके मायने काफी डीप हैं। हुमा कुरैशी की फिल्म ‘तरला’ इसी सोच पर आधारित है। हुमा ने फिल्म में मशहूर शेफ पद्मश्री तरला दलाल का किरदार निभाया है।
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Story of Tarla
फिल्म की शुरुआत तरला के कॉलेज के दिनों से होती है। एक मिडिल क्लास फैमिली से संबंध रखने वाली तरला के सपने काफी बड़े थे। इसी बीच उनकी शादी नलिन दलाल नाम के एक इंजीनियर से होती है। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे एक लड़की की शादी में अड़चन आती हैं, क्योंकि वो खाना बनाना नहीं जानती है। तरला उसे खाना बनाना सीखाती है, इसके बाद उस लड़की की शादी तय हो जाती है।
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अब तरला के खाना बनाने और सिखाने के हुनर से और भी लोग उनके पास आकर अपनी बेटियों को कुकिंग सिखाने की सिफारिश करते हैं। तरला घर में ही ट्यूशन खोल लेती है। लेकिन कुछ परेशानियों की वजह से तरला को अपना कुकिंग ट्यूशन बंद करना पड़ता है। अब यहीं से शुरू होती है तरला के संघर्ष से सफलता की कहानी।
Tarla Movie Download Filmyzilla Review
अब ये पूरी फिल्म तो हुमा कुरैशी के इर्द-गिर्द घूमती है। उनके लुक को बिल्कुल तरला दलाल की तरह बनाने की कोशिश की गई है। वहीं हुमा ने इस रोल को बखूबी निभाया है। इतना ही नहीं तरला के पति के रुप में शारिब हाशमी की भी एक्टिंग अच्छी है। कई सीन में शारिब के एक्सप्रेशन कमाल के हैं। बात फिल्म के डायलॉग्स की करें तो, कुछ डायलॉग्स काफी पावरफुल हैं। Tarla Movie के डायलॉग्स काफी सिंपल हैं लेकिन असरदार हैं। जैसे एक सीन में शारिब हाशमी कहते हैं कि इस देश में लोग महिलाओं को लक्ष्मी तो मानते हैं, लेकिन घर के आगे लक्ष्मण रेखा खींच देते हैं। एक डायलॉग और है, जिसमें शारिब कहते हैं- लोग अपनी पत्नी की किचन में हेल्प जरूर करते हैं, लेकिन उस दो मटर छीलने का एहसान भी जताते हैं। फिल्म का डायरेक्शन ठीक-ठाक कहा जा सकता है। डायरेक्टर पीयूष गुप्ता ने स्टारकास्ट से उनका बेस्ट निकलवाने की कोशिश की है। कहीं-कहीं किसी सीन में इमोशन की कमी देखने को मिलती है। कुछ इमोशनल सीन ऐसे थे, जो प्रभाव डालने में कामयाब नहीं हुए, उन्हें और बेहतर किया जा सकता था।
वहीं ये फिल्म सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि रिश्तों की अहमियत भी बताती है। महिलाओं को ये फिल्म जरुर देखनी चाहिए, क्योंकि इस फिल्म में काफी माइल्ड टोन में महिलाओं के हक की बातें कहीं गई हैं। वैसे आप अपनी पूरी फैमिली के साथ इस फिल्म को देख सकते हैं।