Import Ban : भारत में 31 जुलाई को मुकेश अंबानी की कंपनी जियो की ओर से लैपटॉप जियोबुक लॉन्च किया जाता है। जिसकी कीमत महज 16,999 रुपये है। कंपनी इसे अब तक का सबसे सस्ता लैपटॉप बता रही है। वहीं इसके लॉन्च होने के ठीक तीन दिन बाद यानी 3 अगस्त को भारत सरकार की ओर से लैपटॉप और कंप्यूटर के इंपोर्ट पर बैन लगा दिया जाता है। ऐसे में कई ट्विटर यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि लैपटॉप के बैन का मकसद अंबानी को फायदा पहुंचाना है। लोग इसके लिए सीधे- सीधे मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं कि अगर विदेश से लैपटॉप नहीं मंगाया जा सकेगा, तो देश में बनाए जाने वाले जियोबुक लैपटॉप की बिक्री में इजाफा होगा।
लैपटॉप Import Ban की पूरी सच्चाई
लैपटॉप बैन को लेकर सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत सरकार की ओर से लैपटॉप पर बैन नहीं लगाया गया है। बल्कि इससे जुड़े कुछ नियमों में बदलाव किए गए हैं। इन नियमों के मुताबिक, अगर कोई लैपटॉप, टैबलेट विदेश से मंगाता है, तो उसे सरकार की इजाजत लेनी होगी। लैपटॉप मंगाने के लिए सरकार कुछ शर्तें लगाएगी। सरकार का कहना है कि वो लैपटॉप की एंट्री बैन नहीं कर रही है। बशर्ते लैपटॉप को विदेश मंगाने को रेगुलेट करने जा रही है। वही सरकार ने बताया कि लैपटॉप पर बैन नहीं है। कंपनियां और ट्रेडर्स चाहें, तो लैपटॉप, टैबलेट और आईटी हार्डवेयर को इंपोर्ट कर सकती हैं। ऐसे में ये साफ हो जाता है कि लैपटॉप इंपोर्ट बैन और अंबानी के जियोबुक का कोई कनेक्शन नहीं है।
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वहीं आपको ये बता दें कि अगर सरकार लैपटॉप इंपोर्ट पर बैन लगाती भी है, तो इससे मुकेश अंबानी को कोई फायदा नहीं होगा। क्योंकि जियोबुक लैपटॉप को देश में नहीं बनाया जा रहा है। दरअसल जियोबुक लैपटॉप की भी चाइना में मैन्युफैक्चरिंग की जाती है। अमेजन पर मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग डिटेल के मुताबिक जियोबुक लैपटॉप को चाइना की हुनान ग्रेटवॉल कंप्यूटर सिस्टम कंपनी ने बनाया है। मतलब जियोबुक एक मेड इन चाइना प्रोडक्ट है।
अब आप खुद ही इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि लैपटॉप इंपोर्ट बैन को लेकर सरकार पर लगाए जाने वाले आरोप कितने सही हैं।